माँ के पहलू में सिमट खुद को छुपाने आ गए। माँ के पहलू में सिमट खुद को छुपाने आ गए।
कँवलासित माँ वारिद मग। सिंदूरी बदन विलय जग॥ स्वर्णिम प्रभात आभा भव। कँवलासित माँ वारिद मग। सिंदूरी बदन विलय जग॥ स्वर्णिम प्रभात आभा भव।
पिता ने सारी सुविधा कि द्वार सजाये मंजू गृह मिलने का करते आग्रह किस किस हाथ बढ़ाऊँ सदृश्य मुझ... पिता ने सारी सुविधा कि द्वार सजाये मंजू गृह मिलने का करते आग्रह किस किस हाथ ...
मात-पिता के चरणों में ही, सुख दुनिया का पलता है...।। मात-पिता के चरणों में ही, सुख दुनिया का पलता है...।।
भारत की समृद्धि भारत की समृद्धि
लौट जाए वहाँ जहाँ खुद को छोड़ आये हैं, वहाँ जहाँ से ज़िन्दगी को मोड़ लाये हैं। लौट जाए वहाँ जहाँ खुद को छोड़ आये हैं, वहाँ जहाँ से ज़िन्दगी को मोड़ लाये हैं।