श्रवण भक्ति
श्रवण भक्ति
मात-पिता के चरणों में ही, सुख दुनिया का पलता है
सेवा करके भर लो झोली, धन-वैभव सब मिलता है।
अन्धे मात-पिता श्रवण संग, तीर्थ-धाम को जाते थे;
काँवर में बैठे वो दोनों,नाम श्रवण का गाते थे;
आशीषों की बरसातों से,पुत्र सुपथ पर चलता है।
पुत्र हृदय बेचैन हुआ था,मात-पिता को प्यास लगी;
बीहड़ वन में देखा पानी,आशा की मन लहर जगी;
मृग धोखे से मरे श्रवण तब, तीर धनुष जब लगता है।
गाथा सुनकर श्रवण-भक्ति की ,नैना ये भर आते हैं
ऐसा पूत जिन्हें भी मिलता,यश दुनिया में पाते हैं
रहें सलामत पुत्र "पूर्णिमा" ,वंश इन्हीं से बढ़ता है।
मात-पिता के चरणों में ही, सुख दुनिया का पलता है...।।