STORYMIRROR

Vaibhav Dubey

Drama

2  

Vaibhav Dubey

Drama

फिर उसी बरगद के नीचे

फिर उसी बरगद के नीचे

1 min
169

शहर से हम गांव में कुछ पल बिताने आ गए

फिर उसी बरगद के नीचे घर बनाने आ गए


देखी जब कागज की कश्ती बूंदों से लड़ती हुई

याद बचपन के वही गुजरे जमाने आ गए


भी लम्हे क्या हसीं थे दिल में बेफिक्री लिए

उम्र गुजरी दर्द कितने फिर सताने आ गए


जब कहीं पाया नहीं हमने सुकूँ वैभव तो फिर

माँ के पहलू में सिमट खुद को छुपाने आ गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama