नववर्ष कब मंगलमय होगा?
नववर्ष कब मंगलमय होगा?
नववर्ष कहूँ हो मंगलमय तो क्या मंगल हो जायेगा?
फिर से कोई व्याकुल, जल पीकर अग्नि उदर की मिटाएगा।
कहीं भव्य समारोह, प्रकाश स्वर्णिम, धन व्यय हृदय से होगा।
कहीं शीत लहर में कोई भूखा कम्पित रुदन सुनाएगा।
नववर्ष कहूँ हो मंगलमय तो क्या मंगल हो जायेगा?
कोई किसी को शरण में लेकर चीरहरण न कर जाये
और पुत्र कोई माँ की ममता को कभी न छलनी कर पाए
सुन्दर ,सरल ,सलोना सारगर्भित, सरस ये देश हो
भाग्य भरोसे सब होगा इस आशा में भी क्लेश हो
उन्मादी हृदय का आमंत्रण स्वीकार नहीं हो पायेगा
नववर्ष कहूँ हो मंगलमय तो क्या मंगल हो जायेगा?
न पुष्प कोई रौंदा जाये अब किसी के पग तले।
मधुर सुगंध कर दे प्रफुल्लित सारी विपदाएं टले।
छू लिया है जिसने गिरि, गगन, पवन का आवरण।
धन्य हो गया वो आंगन जिसमें पड़े बेटी के चरण।
और माँ का हृदय बेटा बेटी में कोई भेद नहीं बतायेगा।
नववर्ष कहूँ हो मंगलमय तो क्या मंगल हो जायेगा?
मान रहे सम्मान रहे देश का भी स्वाभिमान रहे।
सबके घर परिवार सदा मर्यादा विद्यमान रहे।
बाँटा नहीं जब उसने किसी को तो हमारी क्या बिसात है?
सिर्फ गीता का उपदेश कुरान की आयत रहे
सही मायने में यही हयात है
बंदकर दे निर्बलों पर बल प्रदर्शन वर्ना
सबकी नजर में मुर्ख तू कहलायेगा।
जो "अलख" जलाओ सौहार्द और सद्भावना की
तभी एकता का ध्वज फहराएगा।
तब मंगल हो जायेगा, तब मंगल हो जायेगा।