माँ की एक हँसी ही धन वैभव सुख
माँ की एक हँसी ही धन वैभव सुख
माँ ने ममता के आँचल से प्यार दुलार बिखेरा है
मेरी माँ की एक हँसी ही धन वैभव सुख मेरा है
जब जब माँ ने मेरे सर पर अपना हाथ पसारा है
दुख संकट पीड़ा ने तब तब मुझसे किया किनारा है
मीठी सरगम जैसे स्वर का घर परिवार चितेरा है
मेरी माँ की एक हंसी ही,,,,,,,,,,,,
मिल जाती है चट्टानों से टकराने की सीख मुझे
अपने सपने, अपनी मंजिल पा जाने की सीख मुझे
हो जाता आभास तुम्हें मेरे आने की बेरा है
मेरी माँ की एक हँसी ही,,,,,,,,,,,,
दे दूँ मैं सारा जीवन फिर भी कुछ ना दे पाऊँगा
तेरे आगे बनकर याचक निर्धन नहीं कहलाऊँगा
दौलत और शौहरत का तेरे क़दमों में माँ डेरा है
मेरी माँ की एक हँसी ही,,,,,,,,,,,,,
माँ बनकर माँ की गरिमा का तुमने मान बढ़ाया है
हर युग में अपने वैभव पर माँ सर्वस्व लुटाया है
तेरे बिन मेरे जीवन में माँ घनघोर अंधेरा है
मेरी माँ की एक हँसी ही धन वैभव सुख मेरा है।
