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Karan kovind Kovind

Others

4.7  

Karan kovind Kovind

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सिध्दार्थ रथ भ्रमण

सिध्दार्थ रथ भ्रमण

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रथ को आगे बढ़ाओ सारथी रथ को आगे बढ़ाओ

कैसा सुन्दर बांट सजा कितना मोहक यह

सहसा उधर देखो सब हँसते मुझे देख सिहरते

कुछ अलग पंथ बतलाओ पंथी कुछ अलग बांट बतलाओ


पिता ने सारी सुविधा के द्वार सजाये

मंजू गृह मिलने का करते आग्रह किस किस हाथ बढ़ाऊँ

सदृश्य मुझे दीखलाओ रथ को आगे बढ़ाओ सारथी

रथ को आगे बढ़ाओ


प्रजाजन को एक एक चक्कर मारो

अनेक कहीं दूर ले जाओ पंथी पंथ को और बढ़ाओ पंथी

पंथ को कुछ बढ़ाओ वैभव देख सभी व्याकुल रथ पर

जड़ें मोती कंचुल सूर्य की तूरित प्रकाश चंचल


सब कुछ दिखलाओ सारथी सब कुछ दिखलाओ

रथ को आगे बढ़ाओ पंथी रथ को आगे बढ़ाओ


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