तलझनकार
तलझनकार
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सुने धरा की विलरव वाद ओ
तल कि विधवत झनकार
नभ वारिद में भरता सांस
ढलता यौवन जो सुकुमार
सुने धरा कि कलरव वाद
करे विभा पर एक उपकार
थल उच्छावित निर्झर श्वास
भरता अभिनव सांस हुलास
सुने धरा कि अधरव मांद
कण कि कुन्तल धर प्रहार
आहिस्ता भूकंप अवसाद
तांडव नर्तन कीर्तन प्रर्थन
करती रहती बहती रहती
लाचार मृदु कतरत भाव
सुने धरा कि कोमल नांद
