Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Karan kovind Kovind

Others

4.5  

Karan kovind Kovind

Others

सुद्धोधन बुद्ध विनय

सुद्धोधन बुद्ध विनय

1 min
357


राजा विनय प्रथ्य मैं करता तुमसे मिलने का

मन करता, पुत्र तुम्हरी छाया व्याकुल

पुत्र तुम्हारी माया आतुर राह देखते हैं प्रतिपल

मन आ सरसित कर निज तन तन हो चला

बूढ़ा शिथिल, लौट कपिलवस्तु मिथिल

राह तकती है यशोधरा राह ताकती कपिल धरा

एक बार सहसा आओ राहुल कुछ कहना चाहता


विनय प्रथ्य वह करता तुमसे मिलने का

मन करता यशोधरा है बहुत उदास

करती याद सदा सुहास कहने का उसमें

न साहस कैसा दिया पीड़ा आसहस

चुपके छोड़ चले गये सुयश लौट एक

बार फिर आओ कुछ दया राहुल पर खाओ

पल पल तुम्हें पुकारता


विनय प्रथ्य मैं करता तुमसे मिलने का

मन करता प्रजा ढूंढती तुम को संत राज्य

का सूना पड़ा पंथ एक क्षण को वसंत लाओ

एक बार लौट के आओ शखा सम्बन्धि चिन्तित

सुन लो विरह विनती जब तुम हँसते मुस्कराते

धरा से कलियाँ खिल जाते सखा तुम्हार ढूंढा करता


विनय प्रथ्य वह करता तुझसे मिलने का

मन करता रात चांदनी चंदन झलक

सिहर पड़ते उनके पलक राहुल शत शत

यही कहते पिता क्या यह पीड़ा सहते

जिस पर हम वर्षो से कराहते एक बार लौटकर

आओ पंथ की बाधा न दिखलाओ तुम सुयश

प्रीत दर्शावो यही आकाश तल कहता

विनय प्रथ्य मैं करता तुमसे मिलने का मन करता


Rate this content
Log in