क्या करोगे इतना पैसा कमा कर, कफ़न में ज़ेब भी तो नहीं साथ ले जाने के लिये। क्या करोगे इतना पैसा कमा कर, कफ़न में ज़ेब भी तो नहीं साथ ले जाने के लिये।
नहीं चाहिए कोई अहसान और गोदी बस मिले अपने हक की दो वक्त की रोटी और रोजी... नहीं चाहिए कोई अहसान और गोदी बस मिले अपने हक की दो वक्त की रोटी और रोजी...
पर आज भी, अब भी, ये चार लफ्ज़ उधार ले गा रहा हूँ। पर आज भी, अब भी, ये चार लफ्ज़ उधार ले गा रहा हूँ।
दर-दर की ठोकरें खाता वो गरीब वो चलते चलते रास्ते ही मर चला दर-दर की ठोकरें खाता वो गरीब वो चलते चलते रास्ते ही मर चला
नियति, अब तुम मुझे हवस की नजरों से ताकोगे। नियति, अब तुम मुझे हवस की नजरों से ताकोगे।
खुशी उसी के क़दम चुमती और अक्सर खुशकिस्मत कहलाते वो।। खुशी उसी के क़दम चुमती और अक्सर खुशकिस्मत कहलाते वो।।