खुशी
खुशी
दो वक्त की रोटी नसीब हो,
रहने को एक मकान
चाहे टूटी-फूटी ही सही
गर मुमकिन नसीब हो,
कपड़े चाहे फटे-पुराने,
मैले-कुचैले ही सही पर
इज्ज़त को ढकने लायक़ हो,
जेब में पैसे न सही पर
दिल में प्यार भरपूर हो,
ऊँची ख्वाब न देखें बस
हक़ीक़त में जो जीता हो,
आसमान में न उड़ता जो
पैर हमेशा ज़मीन पर हो,
नाउम्मीदी पास न भटके जिसके
आशा की गीत जो गाता हो,
खुशी उसी के क़दम चुमती और
अक्सर खुशकिस्मत कहलाते वो।।
