शिक्षा
शिक्षा
अंक का सिर्फ खेल है
होड़ है सबको पीछे रख
खुद अव्वल नंबर पर रहने का ,
बेअदबी से पेश आते हैं
इज्ज़त न देते अपने गुरु को
क्या मोल फिर ऐसी शिक्षा का ;
मंदिर जो कहते विद्या के घर को
कभी जहां पूजा होती शिक्षा की
और शिक्षक को भगवान समझा जाता,
आज सब हैं आलिशान दर ओ दीवारें
मिलती हैं सहूलियत हर क़िस्म के मगर
अफ़सोस ज्ञान वो सच्ची न दिखाई देता;
बहुत महंगी है आज की शिक्षा देखो जहां
जिंदगी की पूंजी खत्म हो जाती बाप की
और संतान फिर भी न ज़ोहर बन पाता,
कीमती डिग्रियां हासिल कर लेते सब
मगर तहज़ीब खुद्दारी और ईमानदारी की
यहां आज कोई भी शिक्षा दे नहीं पाता;
वक्त रहते यह व्यवस्था न बदला गया तो
सब मशीनी आदमी बन कर रह जाएगा
दिल कम जहां दिमाग ज्यादा चलने लगेगा,
सब पैसा रुतबा हक़ के पीछे भागते रहेगा
सुकून जज़्बात इज्ज़त का अर्थ न रह जाएगा
सोचो ऐसे शिक्षा का सच में क्या होगा फायदा!!
