रुखसत
रुखसत
लो आ गया क्षण वह
कहेंगे अलविदा सब आपको,
जाओ, जाओ, जाओ
रुखसत की घड़ी है यह
नई मंजिल है नई दिशा,
खुला गगन है खुला आसमां,
भरो परवाज़े पखेरू बनो
ऊँची शिखर, चोटी पर चढ़ो,
खूब फूलो खूब फूलो
देश की आन-बान-शान
बनो तुम नौजवान ,
मगर याद रखना
मिट्टी को न भूल जाना,
माँ और मातृभूमि की
सेवा हरदम करते रहना,
कभी भूलकर भी भूला न देना
शिक्षा-ज्ञान जो मिला तुम्हें
गुरुओं से अपने परिजनों से,
प्यार बांटना रोशनी बिखेरना,
अंधकार में जो अब तक है
हिंसा-द्वेष से भरा
जीवन है जिन नादानों का,
समझाना उन्हें मोल जीवन का,
अमन-भाईचारे की अमृत
उनके हृदय में भर देना,
यही उम्मीद है तुमसे हमारा
फ़र्ज़ इसे तुम अपना समझना,
अगर निभा पाए फ़र्ज़ तुम अपना
वही होगा हमारा गुरु-दक्षिणा,
सुकून मिलेंगे हमें भरपूर
सपने होंगे सच तुम्हारे भी जरूर,
रिश्ता गुरु-शिष्य का वर्षों पुराना
सलामत रहो हर क्षण जीओ,
भले यह वक्त है तुम्हें रुखसत करने को
फिर भी उम्मीद है याद करोगे
और याद आओगे तुम हमको,
दुआ निकलेंगे हर लम्हा
दिल से यही हमारा,
तुम में हम देख पाएँ
मोती बनते खुद को,
तुम में हम देख पाएँ
रोशन होते खुद को ।
तुम में हम देख पाएँ
रोशन होते खुद को ।।
