शहीद और नेता
शहीद और नेता
क्यों नहीं कोई नेता बनते है शहीद,
क्यों नहीं नेता होते सरहद पर शहीद,
क्यों नेता कहते देश पर होने को शहीद,
क्यों सिर्फ जन या जवान ही होते शहीद,
क्यों नहीं जाते नेता ओढ़ माथे पर कफ़न,
युद्ध करने युद्धभूमि में खड़े हैं जो दुश्मन;
क्या सांसद बनकर सदनों में लड़ाई ही
फ़र्ज़ है देश के लिए एक अच्छे नेता की,
क्यों नहीं नेता अपने कर्तव्य को ऊंचा मान
तन मन धन लुटाने को माने अपनी पहचान,
शपथ खाकर झूठ बोल जनता को गुमराह न करों
नेता तकदीर बदल सकते हैं देश और अवाम की,
करो कुछ ऐसा काम ताकि तुम भी शहीद कहलाओ
नेता बनो ऐसा जिस पर फक्र करें लोग दुनिया की।
