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Bikash Baruah

Others

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Bikash Baruah

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आज की खुदाई

आज की खुदाई

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हर गली चौराहे पर

आज ख़ुदा दिखते हैं,

नज़र जिधर दौड़ाऊं

दैर ओ हरम दिखते हैं ;

खुदाई इस कदर हावी है

इंसानियत खो गई है,

क़ाज़ी हो या बाबाजी सब 

शक्ल एक जैसी दिखती है ;

खुदा से दूर जो बैठे हैं बेबस

ज़रा उनसे हाल ए दिल पूछिए,

आग पेट में इस कदर लगी है

उनसे रोटी की कीमत पूछिए;


न छेड़ मुझे और, ऐ मेरी किस्मत

अब सब्र की इम्तिहान और न लें,

सबब बन सकती है आँखों की नमी

इल्तिज़ा है जलजला इसे बनने न दें;


हर गली चौराहे पर

आज ख़ुदा दिखते हैं,

नज़र जिधर दौड़ाऊँ

दैर ओ हरम दिखते हैं ।।



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