जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
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जवानी में यह एहसास होता है,
बचपन में रोते थे कुछ पाने के लिये।
अब जीवन इतना व्यस्त हो गया है,
कि रोते हैं, समय पानें के लिये।
पैसा कमा रहे हैं, आराम पानें के लिये,
पर हकीकत है, आराम गवां रहे हैं
पैसे कमाने के लिये।
रोटी कपड़ा और मकान, मूल्य उद्देश्य नहीं,
उद्देश्य तो है ज़माने को दिखाने के लिये।
मिली थी ज़िन्दगी किसी के काम आने के लिये,
पर वक्त बीत रहा है
कागज़ के टुकड़े कमाने के लिये।
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर,
कफ़न में ज़ेब भी तो नहीं साथ ले जाने के लिये।
जीवन का मूल समझ जाओ ऐ लोगों,
एक दूसरे के काम आओ,
मानवता को बचने के लिये।
इच्छाओं को सीमित करना सीखो,
जीवन में आनन्द पाने के लिये।