ये हमने क्या किया
ये हमने क्या किया
देश का मजदूर आज मजबूर हो गया
क्या था उसका कसूर
जो मजबूर हो गया
परिवार तो उसका भी हे
फिर क्यों वो अकेला रह गया.
भूखा प्यासा पानी मांगता
आदमी आज रस्ते की ठोकरे खाता रह गया
जो था बेकसूर पर
आज वो रोने पे मजबूर हो गया
वो तो हे अपना और इस देश की मिट्टी का
फिर क्यों उसे प्रवासी बोलके पराया कर दिया
अरे वो गरीब मजदूर नहीं वो तो पैसेवाला है
जो तुम्हारे सपने पूरा करने में अपना सबकुछ दिया
बदले में वो मांगता सिर्फ
रोटी कपड़ा और मकान
हमने उसे कुछ ना दिया
ना था उसके पास राशन कार्ड,
ना था उसके पास पैसा ना था घर ना काम
फिर भी कड़ी धूप में
600 किलोमीटर जाना था गांव।
दर-दर की ठोकरें खाता वो गरीब
वो चलते चलते रास्ते ही मर चला
