रहनुमाई
रहनुमाई
एक दफ़ा तो पलटकर, सफाई दे दो
अपने गुनाहों की जो हो, सच्चाई दे दो
साथ अपने रखो या छोड़ दो तन्हाँ
दम मेरा घुटने लगा है, तन्हाई दे दो
सालों से कैद हूँ, यादों की भीड़ में
आजाद हो सकूँ, ऐसी रिहाई दे दो
ना मंज़िल का पता है, ना राहों की खबर
ए खुदा मुझे फिर से वो, हरजाई दे दो
हर सच को सहने का हौसला है 'अर्पिता'
बयां कर सके हर दाग़, ये रहनुमाई दे दो।