आदतें
आदतें
इंसान खुद अपनी आदतों से परेशान रहता है,
अपनो से हज़ार गिले,और गैरों पर जान देता है।
सुकून की तलाश में ,अपना सुकून खो बैठता है
और आखिर में आकर तकदीर को इल्जाम देता है।
ऊंची आवाज़ में बोलता झिड़क देता है उस हस्ती को,
अरे वो मां बाप हैं तेरे, वही तुझे तेरा नाम देता है।
झूठ फरेब के जाल में फसा सकता है सैकड़ों को,
मगर वो खुदा भी मौजूद है ,वो नियत पहचान लेता है।
नेक , कमज़ोर, गरीब पर कितनी अकड़ दिखाता तू,
ताकतवर और अमीर को देखते ही सलाम कहता है।
सही और गलत का फर्क तेरा दिल खूब जानता है ,
नफ्स को खुश करने को जानकर, अनजान रहता है।
अपनी करतूतों पर परदे डाल देता,
दूसरे की गलती को सरेआम कहता है।
अपनी ही लगाई आग में खुद ही जलता है,
इंसान खुद अपनी आदतों से परेशान रहता है।