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Aprajita Rajoria

Tragedy

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Aprajita Rajoria

Tragedy

दर्द

दर्द

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क्या क्या था सोच मैने "माँ " !

तेरी हथेली मे सिमटेगी मेरी दुनिया,

बाबा के आशीष से बनाऊंगी मैं मिसाल!

जालिम येह दुनिया और मेरी किस्मत !


मेरे सपने ,मेरे लक्ष्य सब थम गये!

इन आंखों के आँसू भी अब तो नम गये!

तू चाहती थी " माँ " तेरी तरह मैं भी डोली चढू ,

हाँथों में मेरे भी हो मेहंदी !

पर येह कैसी बिदाई?

यहाँ तो गम के है आँसू, खून की है लाली!


डोली ना सही ,पर येह सफेद चादर ही!

मेरे रंगीन ,इन्द्रधानुशी जीवन की येह कैसी अंधियारी रात !

जीवन मेंजो कुछ भी सीखा,

सब तेरे प्यार की है "पूंजी ",

हर पल मुसीबत में बस, कानो में तेरी "दुआ" गून्जी!


सोचा ना था की इस तरह टूटेगी तुझसे डोर!

ग़म नहीं जाने का ,पर इस बात का

बहुत होंगे तेरे आस -पास, मैं नहीं किसी ओर!

शब्दों ने भी अब तो छोड़ दिया मेरा साथ !

जाते जाते बस इतना है कहना "माँ "

कोई हो ,ना हो , पर तू हर जन्म देना मेरा साथ!


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