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Sarita Kumar

Classics

4  

Sarita Kumar

Classics

वो मेरा भगवान

वो मेरा भगवान

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रखा था

संभाल कर 

उन्होंने 

मेरा दिल, 

जज़्बात, 

भावनाएं, 

ख्वाहिशें, 


मान - सम्मान 

और मर्यादा 

इसलिए

कभी भी 

कहीं भी नहीं

लिखा मेरा नाम 

और मैंने भी ...


अंतस मन की कंदराओं में 

छुपा कर रखा था वो *राज* 

न जाने कैसे 

उजागर कर दिया 

मेरी दहकती चीता की 

धधकती लौ ने 

बहुत ज़ोर से पुकारा उनका नाम 

मुक्तिधाम के सन्नाटे को चीरती हुई 


समूचा ब्रह्मांड गूंज उठा चीता की मर्माहत ध्वनि से .........

हज़ारों लाखों करोड़ों दिल की धड़कनें असंतुलित हो गई 


क्योंकि हर इंसानी दिल में था वो प्रेम,

करूणा, दया और सद्भावना के रूप में 

"वो मेरा भगवान" 

जो उन सभी का है, जिनके ह्रदय में आस्था,

विश्वास और भक्ति भाव विराजमान है ।


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