Rita Jha

Abstract Classics Inspirational

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Rita Jha

Abstract Classics Inspirational

माता चंद्रघंटा

माता चंद्रघंटा

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वर्षा ऋतु का गमन, व शीत के आगमन से पूर्व

शरद ऋतु बने ऋतुओं के बीच का संधिकाल

समय सुहाना, जीवन में नव उमंग का संचार

आए तभी हिंदुओं का पावन नवरात्र त्योहार।


पहले दिवस में हो माता शैलपुत्री की उपासना,

शैलपुत्री की शक्ति करे मन मस्तिष्क विकसित

दूसरे दिन सब माँ ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें

खुश होकर, साधकों को अनंत फल प्रदान करें


माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति स्वरूपा हैं चंद्रघंटा,

तीसरे दिन के पूजन का महत्व अत्यधिक होता

साधक का मन 'मणिपूर' चक्र में होता है प्रविष्ट

मन को मिलती है परम शांति, कल्याण होता


मस्तक पर घंटा के आकार का अर्धचंद्र विराजे

शरीर व माता का रंग स्वर्ण सम दमकीला लागे

दस भुजाएं होती,अस्त्र शस्त्र से हर भुजा शोभे

सिंह सवार माँ, युद्ध के लिए उद्यत रहती सदा


माता का है सौम्यता, शांति से परिपूर्ण स्वरूप,

अराधना जो करे वो पाए वीरता सह निर्भयता

मुख नेत्र व संपूर्ण काया में कांति गुण बढ़ता

स्वर में भी दिव्य , अलौकिक मधुरता समाए।


छात्रों को माता पूजन से मिलती साक्षात विद्या

रक्षा भक्तों की करें माता, अनिष्ट कभी न होता

मैया को नारंगी रंग अत्यधिक पसंद है आता

साधक इसी रंग के वस्त्र, पुष्प ले मैया को रिझाता।


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