रश्मि के दोहे
रश्मि के दोहे
दौर सदा बदलाव का,
चलता अपनी चाल।
पानी-से बहते चलो,
पूछे बिना सवाल।।
राग-रंग बदले यहाँ,
बदला है संसार।
भूला मौसम धूप को,
पानी-पानी क्वार।।
पितरों का पूजन करें,
अवसर आया आज।
उनके ही आशीष से,
सफल हमारे काज।।
तिनका-तिनका जोड़कर,
रचते वो संसार।
जाते-जाते भी रखें,
कोने-कोने प्यार।।
उनसे ही आगे बढ़ें ,
धर्म-कर्म व्यवहार।
नवल-नवल इस पौध पर,
पितरों का उपकार।।
पावन घर को कर गए,
पुरखे बारम्बार।
उनके ही वरदान से,
हरे- भरे घर-द्वार।।