बसंत
बसंत
रंग बिरंगी अधिखिली
विशेष गंध से बासित
मंजरियाँ
आम्र डाल पर
झूल रही
आगमन ऋतुराज का
यह तो अब कह रही
फागुन की शुरुआत
की दस्तक
भी यह दे रही
कोकिल कलरव
नूपुर बज उठा है
सुंदर दृश्य
वन में हरियाली
केसरिया रंग में रंगी
आम्र मंजरी
ऐसे में फागुनी हवा भी
बौरा रही
सखी ! एक कविता
तो सुनाओ
आओ बसंत के
गुण गाओ।
