ढलते वक़्त के साथ।
ढलते वक़्त के साथ।
ढलते वक़्त के साथ, बहुत कुछ बदल गया,
कुछ अपने छोड़ गए, कुछ नये भी जुड़ गए।
कुछ रिश्ते अज़ीज़ थे, सदा के लिए छूट गए,
कुछ रिश्ते नये बने थे, वो रिश्ते नये पसंद थे।
कुछ नया आ गया था, कुछ पुराना खोया था,
नयों ने जन्म लिया था, पुरानों ने ये छोड़ा था।
जीवन की यही रीत है, कुछ पाना कुछ खोना,
संसार में अकेले आना, और अकेले तो जाना।
कितना भी अज़ीज़ हो, अंतिम संस्कार करना,
बस रोना-धोना सभी ने, कोई कम या ज़्यादा।
मरने वाले के लिए रोते, साथ तो नहीं है जाते,
ये संसार का नियम ही, जैसे भी जीवन जीना।