अरमान
अरमान
खुशियां कम और अरमान बहुत है,
जिसे भी देखो परेशान बहुत है,
करीब से देखा तो निकला रेत का घर,
मगर दूर से इसकी शान बहुत है,
घटते बढ़ते हर कदम से,
गिरने का भय बहुत हैं,
अरमान बहुत है उसे गले लगाने की,
दिल में उसका नाम कम हैं।
खुश हूं ऐसा लगता है
पर दिल में ना जाने क्यों इतने अरमान कम हैं।