देवी महागौरी
देवी महागौरी
देवी दुर्गा का आठवाँ स्वरूप मॉं महागौरी हैं
नौ रूप दस महाविद्याएँ आदि शक्ति के अंश ,
महादेव के साथ सदा विराजमान महागौरी हैं
इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण और मुद्रा शान्त है।
इनकी उपमा में शंख चन्द्र और कुन्द पुष्प हैं
श्वेतवृषसमारूढ़ा श्वेताम्बरधरा तपस्विनी हैं,
कठिन तपस्या से पाया था उज्ज्वल गौरवर्ण
विद्युत के समान अत्यन्त कॉंतिमान गौरवर्ण।
भक्तों के लिए अन्नपूर्णा सद्यफलदायिनी हैं
करुणामयी स्नेहमयी मृदुल, चतर्भुजा हैं ,
<p>दक्षिण कर अभय मुद्रा में ,वाम में डमरू है
निम्न हस्त वरमुद्रा में, और त्रिशूल शोभित है।
शक्ति ऐश्वर्य मोहक सौम्य सौन्दर्य की देवी
देह दिव्य प्रभा दसों दिशाओं को उद्दीपित करती
डमरू के कारण महागौरी शिवा भी कहलायी
कृपा से सभी संकट दूर होते असंभव कार्य पूर्ण होते।
एक मॉं कालरात्रि अति भयावह प्रलयसमा हैं
दूसरी महागौरी देदीप्यमान कोमल अमोघशक्ति हैं,
शिव विश्वासपूर्ण बोध से जाननेवाले परमात्मा हैं
महागौरी शिवस्वरूप का बोध कराने वाली विद्या हैं।