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chandraprabha kumar

Inspirational

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chandraprabha kumar

Inspirational

देवी सरस्वती का आविर्भाव

देवी सरस्वती का आविर्भाव

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शुरू में सृष्टि में

सब था मूक ,

शान्त और नीरस

न कोई स्वर था न वाणी,

उदासीन सी थी सृष्टि,

निराश हो ब्रह्मा ने

तब किया आह्वान

देवी सरस्वती का।


एक हाथ में वीणा

दूसरे हाथ में वरमुद्रा

अन्य दो हाथों में

पुस्तक और वीणा,

अत्यन्त मनोहारी मुखमुद्रा 

तेजस्विनी देवी शक्ति प्रकट हुई, 

ब्रह्मा ने अनुरोध किया

सृष्टि में स्वर भरने का।


देवी सरस्वती ने

अपनी वीणा के 

तारों को झंकृत किया,

संगीत के सुर ‘सा’ का

कम्पन हुआ,

समूची मूक सृष्टि में 

ध्वनि का संचार हुआ

सृष्टि मुखर हो उठी। 


नदियों का जल

कलकल नाद कर उठा

पक्षी चहचहाने लगे

हवा सरसराने लगी,

जीव जंतुओं के कंठ से

मानव के कंठ से 

स्वर फूट पड़ा 

देवी सरस्वती का आविर्भाव हुआ।


समूचे जीव जगत को

स्वर का वरदान मिला

माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी को

देवी का अवतरण हुआ, 

 वाणी की देवी वागेश्वरी कहलाईं

हाथ में वीणा से 

वीणापाणि कहलाईं।

बसन्त पंचमी को होती है पूजा

पीत पुष्पों से सरस्वती की

 ज्ञान और कला की देवी की। 


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