कर्म को नमस्कार
कर्म को नमस्कार
उस कर्म को नमस्कार है
जिस पर विधाता का भी वश नहीं।
देवता हैं विधाता के वश में
विधाता हैं कर्मों के वश में
विधाता कर्मों के अनुसार
फल दाता हैं।
तब देवताओं और विधाता से
हमें क्या प्रयोजन
कर्म को ही हमारा
बारम्बार नमस्कार है।
जिसने सृष्टि रचना के लिए
ब्रह्मा को
कुम्हार के समान
नियुक्त किया,
जिसने विष्णु को
दश अवतार धारण करने के
संकट में डाला,
रुद्र हाथ में खप्पर ले
भिक्षा मांगने को बाध्य हुए,
जिसने सूर्य को
आकाश मंडल में
भ्रमण का कार्य सौंपा,
उस कर्म को
बारम्बार नमस्कार है।