बस हर बदलाव को पाने को एक नया सहारा खोजना चाहता है बस हर बदलाव को पाने को एक नया सहारा खोजना चाहता है
वानप्रस्थ और संन्यास। वानप्रस्थ और संन्यास।
आज हमारा बचपन है कल हमारा यौवन है फिर हमारा बुढ़ापा है आज हमारा बचपन है कल हमारा यौवन है फिर हमारा बुढ़ापा है
सुख है उपजा तुमसे ही अब,ढूॅंढो़ बस कस्तूर... दर्शन दो हे ईश हमारे.... सुख है उपजा तुमसे ही अब,ढूॅंढो़ बस कस्तूर... दर्शन दो हे ईश हमारे....
दोस्ती जरूरत के अनुसार अलग-अलग होगी दोस्ती जरूरत के अनुसार अलग-अलग होगी
सोचो कि तुम कमजोर हो, कमजोर तुम बन जाओगे। सोचो कि तुम कमजोर हो, कमजोर तुम बन जाओगे।