सरसी छंद...
सरसी छंद...
दर्शन दो हे ईश हमारे,व्याकुलता हो दूर।
माया हमको डहती अंतस,स्वार्थ परख मजबूर।।
दर्शन दो हे ईश हमारे...
जो दिखता वो ही बिकता है,अनुपम यह बाजार।
किसको किसने आज खरीदा,बिकता यह संसार।।
किसको आखिर अपना समझें,सबके मन अंगार
अपनी करनी आप भोग लो,जीवन के अनुसार ।
सुख है उपजा तुमसे ही अब,ढूॅंढो़ बस कस्तूर।।
दर्शन दो हे ईश हमारे....
