देवी काली
देवी काली
देवी काली के श्रीविग्रह की छवि
अवर्णनीय होती,
कज्जल के पहाड़ के समान
दिग्वसना मुक्तकुन्तला,
शव पर आरूढ़
मुण्डमालाधारिणी,
भगवती काली,
इनकी उपासना होती
वीर भाव से ,
सहज ही अभीष्ट प्राप्ति होती।
भगवती काली ही
नीलरूपा होने से
देवी तारा कहलातीं,
ये शवरूप शिव पर
प्रत्यालीढ़ मुद्रा में हैं आरूढ़,
बायॉं पैर आगे दायॉं पैर पीछे
भगवती तारा नीलवर्ण वाली
नील कमलों के समान नेत्रवाली
व्याघ्रचर्मविभूषिता
मुण्डमाला धारिणी।
हाथों में इनके है
कैंची, कपाल
कमल और खड़ग।
ये मोक्ष देने वाली हैं
तारने वाली हैं,
इसलिये तारा कहलाती हैं,
ये नील सरस्वती भी हैं
वाक्शक्ति देती हैं
अनायास ही,
विपत्ति से रक्षा करतीं।