दुर्गा उत्पत्ति
दुर्गा उत्पत्ति
मची था दानव प्रलय,
देव हो गये थे विलय।
चारो तरफ हाहाकार,
हुआ माँ का अवतार।
लेकर माँ ने अवतार,
किया दानव संहार।
महिषासुर एक राक्षस,
जिसकी शक्ति अपार।
सौ साल युद्ध किया,
स्वर्ग पे किया अधिकार।
हुआ माँ का अवतार,
किया दानव सँहार।
महिषासुर से डरे,
दौड़े देवता सारे।
ब्रह्मा - विष्णु मिले,
भोलेशंकर जुटे।
हुआ माँ का अविष्कार,
किया दानव सँहार।
शिव का चेहरा लिया,
हरि ने हाथ दिया।
अग्नि आँख बने,
देवों ने दिया आकार,
हुआ दुर्गा अवतार।
लेकर माँ ने अवतार,
किया दानव सँहार।
शिव का शूल लिया,
हरि ने चक्र दिया।
सूर्य की किरणें मिली,
काल ने दिया तलवार,
भरा माँ का शस्त्रागार।
लेकर माँ ने अवतार,
किया दानव सँहार।
अग्नि की शक्ति मिली,
वायु का वाण चला।
इन्द्र की बज्र गिरी,
सागर का पहन के हार,
किया शक्ति शृंगार।
लेकर माँ ने अवतार,
किया दानव सँहार।
शुम्भ-निशुम्भ सँहारा,
चण्ड-मुण्ड भी मारा।
रक्त बीज हरे तुम,
मधु-कैटभ का मर्दन,
करके तुमने प्रहार।
किया दैत्य सँहार।
लेकर माँ ने अवतार
किया दानव सँहार।
धरती कम्पन हुई
अम्बर गर्जन लगा,
सबकुछ थम सा गया
दानव क्रन्दन मचा,
शेर पे होकर सवार,
महिसासुर का सँहार।
लेकर माँ ने अवतार,
किया दानव सँहार।