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Pankaj Priyam

Others

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Pankaj Priyam

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मेरा भारत कैसी आज़ादी ?

मेरा भारत कैसी आज़ादी ?

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मांगा था खून कभी

देने को आज़ादी।

कहां चले गए तुम

कैसी मिली आज़ादी ?


भूखी-नंगी तड़प रही

देश की बड़ी आबादी।

आकर देखो नेताजी,

ये भारत की बर्बादी।


मन्दिर-मस्जिद 

बीफ के झगड़े।

इसी में उलझी 

पूरी बड़ी आबादी।


नेता तो सरताज है

जनता मरती आज है।

खेतों में पड़ता सूखा

किसान रहता भूखा।


ऋण बीमा की आस में

समर्थन मूल्य के ह्रास में।

सस्ती गरीब की जान है

फंदे से लटका किसान है।


कहने को आज़ाद मगर

विचारों पे रहती पाबन्दी।

अमन चैन तोड़ने को 

मिली है सबको आज़ादी।


कोर्ट का लगाते चक्कर

बनते गरीब घनचक्कर।

आतंकी की ख़ातिर लेकिन

खुल जाती है रात आधी।


आधार है तो पहचान है

नही तो निकले प्राण है।

गोदामों में सड़ता अनाज

भूखे सोती बड़ी आबादी।


आ जाओ सुभाष बाबू

देखो भारत की बर्बादी।

अंदर घुटकर जीने की

कैसी मिली है आज़ादी ?


आकर देखो नेता जी,

देश का क्या हाल हुआ,

टुकड़े-टुकड़े करने की,

सोचे देकर नारा आज़ादी।


अखाड़ा बने स्कूल-मदरसे

कलम छोड़ चलाते पत्थर।

आज़ादी-आज़ादी चिल्ला,

सोचते भारत की बर्बादी।


कोई जपता गाँधी-नेहरू,

कोई सावरकर पुजारी।

भूला दिया सबने उनको,

जिसने दिलाई आज़ादी।


आज़ाद हिंद की नींव रखी,

दिया जयहिंद का नारा।

आ जाओ सुभाष चन्द्र जी

दिलाने भारत को आज़ादी।


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