कल भी सूरज निकलेगा
कल भी सूरज निकलेगा
कल भी पवन बहेगा,
कल भी गगन रहेगा।
हम जगें न जगें सबेरे
कल भी सूरज उगेगा।
प्रातः सूरज निकलेगा
शाम सूरज ही ढलेगा।
वक्त का यह पहिया है
हरवक्त यूँ ही चलेगा।
ये अंधेरा मिट जाएगा
हाँ नया सबेरा आएगा
रात घनेरी चाहे कितनी
प्रकाश सबेरे आएगा।
जीवन तो थम जाएगा
साथ नहीं कुछ जाएगा।
हम रहें न रहें धरा पर,
लफ्ज़ मेरा रह जाएगा।
