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Ashish Yadav

Romance Classics

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Ashish Yadav

Romance Classics

कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा

कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा

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बहूँत सी बातें छिपाए है दिल में।

कभी मिलोगी तो सुनाऊँगा।। 

कैसे इतनी दर्द में रहा हूँ मैं,

कैसे खुद से ही नफरत किया हूँ मैं,

कैसे आशु को पिया हूँ मैं,


कैसे मजबूर हूँआ हूँ मैं,

सब कुछ तुम्हें बतलाऊँगा,

बहूँत सी बातें छिपाए है दिल में।

कभीं मिलोगी तो सुनाऊँगा।।


कितनी रातें जागा हूँ मैं,

कितना ज्यादा अभागा हूँ मैं,

कितनी विवाद में रहा हूँ मैं, 

कितनी पहेली में बंधा हूँ मैं,

सारी बाते तुम्हें दिखलाऊँगा,

बहुत सी बातें छिपाए है दिल में।

कभी मिलोगी तो सुनाऊँगा।।


हमारी यादें क्या है,

हमारी राहें क्या है,

हमारा सत्य क्या है,

हमारा लक्ष्य क्या है,

सब तुम्हें समझाऊँगा,

बहुत सी बातें छिपाए है दिल में।

कभी मिलोगी तो सुनाऊँगा।।


साहित्याला गुण द्या
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