भारत
भारत
फ़ूलों से महके मेरे देश की धरती
तितली भौंरे मंडराए गुलशन में ही
है गंगा जमना का संगम दोस्त यहां
धारा बहती है उल्फ़त की हर दिल में
उगले है गेहूं चावल मक्का लोगों
मेरे देश की धरती है ये प्यारी
है सुंदर वादी फ़ूलों की ये ख़ुशबू
है पहचान वतन की मेरे ये लोगों
आते मौसम सर्दी गर्मी बरसाते
मेरे देश की धरती की सुंदरता ये
गीत ग़ज़ल उल्फ़त की ख़ुशबू है आज़म
महके प्यारी धरती उल्फ़त की धुन में।
आज़म नैय्यर