भीगी सड़क -2
भीगी सड़क -2
दो युवा प्रेमी बीच सड़क पर
प्रेमालाप कर रहे थे
प्रेम में निमग्न होकर
प्रेम की दुनिया में
सैर कर रहे थे
कल्पनाओं के
घरोंदे सजा रहे थे
सागर की लहरों की तरह
एक दूसरे के दिलों में
डूब उतरा रहे थे
आंखों के भंवर में
धंसते जा रहे थे
अधरों के गुलशन में
बेरोकटोक आ जा रहे थे
भावनाओं की वैतरणी में
अपने दिल का चप्पू
चला रहे थे।
कोमल अहसासों के फूलों से
गुलदस्ता बना रहे थे
उमंगों के परों पर सवार होकर
खुदगर्ज जमाने को
औकात दिखा रहे थे
रिमझिम बारिश की बूंदों में
मन के भांवरें लेकर
नये जीवन का
आगाज कर रहे थे।
उनकी प्यार की बारिश में
वो सड़क भीगकर
तर बतर हो गयी ।
जो अब तक घृणा करती थी
जिन बदनाम गड्ढों से
आज उन्हीं गड्ढों से
एकाकार होकर
उन्हीं गड्ढों में कहीं खो गई।