मर्द ...
मर्द ...
मर्द वो है जो अपनी हर जिम्मेदारी हंस कर पुगाए
जो बाप बेटा, भाई-पति उस से जुड़ा हर रिश्ता बखूबी निभाए
मर्द वो नहीं जो जरा सी बात पर औरत पर हाथ उठा ले
मर्द वो है जो हर मुश्किल हालात में उसे संभाले...
जो खुद भी जिंदगी में एक मुकाम तक जाए
और दूसरों के सपनों को भी पंख लगाए
मर्द वो है जो सही और गलत का फासला समझाए
अगर जरूर पड़ी कभी तो डांट भी लगाए....
मर्द वो नहीं जो खुद की कमियों को ही ना संभाल पाए
हर दूसरी लड़की को देख कर उस पर मोहित हो जाए
मर्द वो है जो जिंदगी भर बस एक लड़की पर मरे
लड़की से ज्यादा उसकी इज्जत का ख्याल रखे....
उसे पाने की हर मुमकिन कोशिश करे पर उसे
किसी वजह से जाना पड़ा तो उसे बेवफा ना कहे
किसी लड़की को अकेली देखकर उसका फायदा ना उठाए
बल्कि उसे सही सलामत उसके घर पहुंचाए...