" दिल की ख्वाहिश "
" दिल की ख्वाहिश "
ज़ुबाँ से कुछ यूँ बयाँ कि उसने ख्वाहिश हमसे,
शायरी का शौक कुछ वो भी रखते थे।
न जाने उसे हमारा शायरी में खो जाना पसंद था ,
या फिर हमसे जुड़ी हर बात में , कुछ ऐसा असर था।
कभी उसकी आँखों में सवाल था, कभी लबों पे हसरत,
क्या था वो राज़, जो छिपा था उन आँखों की मुलायमियत में !
शायरी की राह पे चलकर हमने जाना,
वो हर लफ्ज़, हर ख्वाब बस हमसे ही जुड़ा था।!
