वर्तमान का आईना : “खोता हुआ अपनापन”
वर्तमान का आईना : “खोता हुआ अपनापन”
ऐसा समय आया है , सब पैसों की माया है
बच्चा-बच्चा, आज रील्स का दीवाना है !
फेसबुक,व्हाट्सअप ,इंस्टा ने सबका मन भाया है,
प्रॉपर्टी के लिए आज भाई ,भाई का ही दुश्मन है !
पैसा पास हो तो पराये भी अपने ,
और न हो, तो अपने भी पराये हैं !
आज स्त्री अंग प्रदर्शन करने को ,अपना अधिकार समझती है ,
और पुरुष उसके आकर्षण में झूम उठता है !
मार्ग में पड़े व्यक्ति को उठाने का वक्त किसी पे नहीं
लेकिन रील्स बनाने और देखने का वक्त सबके पास है !
इंसानियत का मनुष्य आज इंसान से नीचे गिर गया ,
दिखावा और पैसा ही , मात्र उसका मकसद रह गया !
वो अपनापन , वो प्रेम ,वो परिवार , न जाने कहाँ धूमिल हो गया ,
जहाँ अपने ,अपनों के दर्द में आंसू बहाते थे ,
उनके खुश होने पर मुस्कुराते थे .
इस मायावी भरी दुनिया में न जाने ,सब कहाँ खो गया ,
कहाँ खो गया ......कहाँ खो गया !
-
