मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ
मैं जब जब तुम्हें सोचता हूँ
हर लम्हे से मैं ये पूछता हूँ
की क्यूँ मैं तुम्हें इतना सोचता हूँ
लम्हे मुस्कराते हैं और खामोशी बन जाते हैं
फिर मैं तुम्हें सोचता हूँ
और खामोशी से पूछता हूँ
जब भी उसे मैं सोचता हूँ
तुम क्यूँ आते हो ?
खामोशी कुछ देर ठहरती है
फिर पलकों पे बूंद बन जाती है
जब जब तुझे मैं सोचता हूँ
खामोशी बूंद क्यूँ बन जाती है
मैं इन बूंदों से पूछता हूँ
बूंद कुछ देर पलकों पर रुक कर
फिर एक सोच बन कर निकल जाते हैं

