रूठे-रूठे से एहसास
रूठे-रूठे से एहसास
सुनो...जब प्यार होता है ना
तभी लोग झुकते है ,रोते है ,
माफी मांगते है , मनाते हैं , वरना
इज्जत तो सबको अपनी प्यारी ही होती है...!!
बस ये होता है अपनापन रिश्ते का
कुछ " रूठे-रूठे से एहसास " है .... वरना
आजकल तो लोग रूठे हुए को मनाते ही नहीं
रिश्ता ही छोड़ देते है ...
कुछ ℅ ही लोग सच्चे दिल से
उन रिश्ते की अहमियत जानते हैं
और निभाने वाले भी होते हैं
मैं उन में से एक हूँ...
और ये जिसे गलत लगता है पैरों में गिरना
ये मेरे लिए बहुत छोटी बात है ....
उसके लिए वो जाने उसकी सोच....
मेरा अपना नजरिया ऐसा ही है...!!

