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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy

नशे में चूर

नशे में चूर

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कुछ तो असर है तेरे शहर की आब वो हवा में, 

जो एक सख्त सा लड़का भी यहां महबूब हो गया ।


दूर रहता था जो इश्क़ से , वो मोहब्बत के किस्सों से भी,

तेरे शहर में वो भी इश्क़ करने को मजबूर हो गया ।


खुद को बचा कर रखा था , अब तक हर नशे से जिसने,

तेरी आंखों में खोकर वो भी नशे में चूर हो गया ।


मसला तो सारा , तेरे चेहरे के वो नूर का था,

और तेरा शहर बिना बात के ही वो मशहूर हो गया ।


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