सरल शायरी
सरल शायरी
इबादत वो नहीं होती जो मस्जिद में है की जाए
के भर दे पेट भूखे का जरूरत ही भला क्या है
ना पूछो हाल तुम अपना बताकर फायदा क्या है
जो जानोगे हकीकत तो पलट कर फिर ना देखोगे
रकीबों का बड़ा एहसांँ है सीखी उनसे चालाकी
अगर वो साथ होते तो कहां से यह हुनर पाते
जो देते बददुआ हमको रक़ीबों को मुबारक हो
अभी तक उनके ही खातिर हैं झेले दंश जीवन में
रज्जन सरल