खिलौने के पीछे हंसी या गम
खिलौने के पीछे हंसी या गम
ये चेहरे जो बिक रहे हैं
अब कोई नहीं खरीदता
लेकिन
इनको बेचते मासूम चेहरों के
पीछे छिपी इंसानी
जरूरतों को शायद
अब भी पढ़ा देखा और
महसूस किया जा सकता है।
बचपन में हमारे चेहरे पर
एक मुस्कान लाने वाले ये चेहरे
आज कहीं गुमनाम गलियों में भी
कोई नहीं खरीदता
और बेचने वाले चेहरों की
उदासी है कि
छुपाए नहीं छुपती।