संघर्ष और सपने
संघर्ष और सपने
अनपढ़ रहा इसलिए रिक्शा चला रहा हूँ
आज बच्चों को शिक्षित करना चाहता हूँ
इसलिए रिक्शा चला रहा हूँ।
भूखे पेट सोया हूँ
दो वक्त की रोटी के लिए सब्जी बेच रहा हूँ।
आज बच्चों को भरपेट खाना मिले
इसलिए सब्जी बेच रहा हूँ।
मीलों सफ़र किया
दिनों दिन घर से दूर रहा घर बनाने के लिए
आज घर में बच्चे हँसते हैं
आज भी घर से बाहर रहता हूँ
उनकी हँसी कमाने के लिए।
फूलों की महक पसंद थी
इसलिए मंदिर के बाहर फूल बेचता था
आज उसी प्रभु को खुश करना चाहता हूँ।
इसलिए फूल बेचता हूँ।
नींद कमाने के लिए
नींद को इन पलकों से दूर रखा है
आज भी रात भर सफ़र करता हूँ
सुख चैन कमाने के लिए।
तब मैं दौड़ता था
आज जिंदगी दौड़ा रही है
बस इतना ही फ़र्क रहा मेरे कल में आज में।