हाँ...हम वो किसान है
हाँ...हम वो किसान है
भारत की जान हैं,
पर वर्षों से बेज़ुबान है,
हाँ...हम वो गूँगे किसान है !
देश की भूख मिटाने के वास्ते,
हम खुद भूखे पेट बोते आए खेतों में धान है,
हाँ...हम वो मेहनती किसान है !
सिर पर है टूटी खपरैल,
और बदन पर फटी बनियान है,
हाँ...हम वो गरीब किसान है !
देश को तरक्की करते देख,
हम अपनी तंगहाली से हलकान है,
हाँ...हम वो असहाय किसान है !
क्या भाजपा-क्या कांग्रेस,
हमारे लिए तो सब एक समान है,
हम तो वो है जो पूरे
सरकारी तंत्र से ही परेशान है,
हाँ...हम वो व्यथित किसान है !
हमारे वोट से जो मंत्री बन गए
उनका बँगला आलीशान है,
हम बैठे रह गए उसी मेढ़ पर
और रहे ताकते आसमान है,
हाँ...हम वो बदकिस्मत किसान है !
समर्थन मूल्य गिर रहा गढ्ढे में
और महँगाई चढ़ी परवान है,
कर्ज़ माफी की आस खत्म,
अब हमारा अंतिम सहारा
रस्सी के बस चार थान है,
हाँ...हम वो फाँसी के फंदे पर
झूलते किसान है !
अब आस उन्हीं से है
जो देश के नौजवान है,
जिनके हाथों में आने वाले
कल की कमान है,
वर्ना हमारा क्या ?
हम तो सदियों से गुमनाम थे
और आज भी गुमनाम है,
हम तो नारों में कल भी
'जय जवान जय किसान' थे,
और आज भी
'जय जवान जय किसान' है।
हाँ...हम वही हवा में उड़ते
नारों वाले
ज़मीन पर बैठे किसान है !