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JAYANTA TOPADAR

Romance Tragedy

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JAYANTA TOPADAR

Romance Tragedy

मैखा़ना-ए-दिल

मैखा़ना-ए-दिल

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फिर क्यों पैमाने छलक गए

अश्क बनके

मैंने तो जाम-ए-दर्द उठाया नहीं ?


यूँ शाम-ओ-सहर दिल-ए-नादाँ मेरा

बस मैख़ाने को चल दिया...

बस आदतन ऐतबार मेरा

नशे से टूट गया...!


रफ्ता-रफ्ता चाहत मेरी

कब्र-ए-तन्हाई बन गई...


मैं शायर था ग़मगीन, मगर

कागज़ पर ज़िंदगी मेरी गुलिस्तां-ए-

ग़जल बन गई...!


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