अनमोल हैं बेटियाँ
अनमोल हैं बेटियाँ
मधुर तराने का साज़ हैं ये बेटियाँ,
इस मूक दुनिया की बुलंद आवाज़ हैं ये बेटियाँ,
सुनो ए दुनिया वालों... सुनो गौर से,
तुम्हारा कल नहीं... तुम्हारा आज हैं ये बेटियाँ,
न बाँधों इनके पंखों को, अपनी संकीर्ण मानसिकता से,
तुम्हारी शर्म नहीं, तुम्हारा नाज़ बनेगी ये बेटियाँ,
न समझो कमतर इन्हें किसी बेटे से,
जब चुप रहोगे तुम, तब तुम्हारी आवाज़ बनेगी ये बेटियाँ...