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यह दिवाली उनको भी मुबारक

यह दिवाली उनको भी मुबारक

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यह दिवाली उन सब को भी मुबारक,

जो आज के दिन भी,

किसी चौराहे पर

सीटी-डंडा बजाते हुए

ट्रैफ़िक हटा रहे हैं।


जो कहीं सुदूर किसी

फ़टेहाल पुलिस थाने में बैठे हुए

अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं।


जो खेतों में अपने पैरों को घुटनों तक

मिट्टी में धँसाए

अपनी मेहनत के पसीने से

सोना उपजा रहे हैं।


जो सीमा पर मुस्तैद खड़े होकर

अपने देश की आबरू बचा रहे हैं।


यह दिवाली उनको भी मुबारक

जिनके हिस्से में

उनके जन्म से ही

गम लिख दिए गए।


ज़ुबान बंद करने के लिए

जिनके होठ

हमेशा के लिए सिल दिए गए।


जिनके नसीब में न आई

कभी खुशियाँ मुस्कुराहट बनकर,

क्योंकि उनकी किस्मत में आए ढेरों आँसू

और हँसी कम लिख दी गई।


यह दिवाली उनको भी मुबारक,

जो लड़ते रहे हैं सदैव

इंसानियत के उन दुश्मनों से,

जो निज स्वार्थ के लिए

समाज में घृणा व हिंसा रूपी

आग लगा देते हैं।


जो मज़बूती से डट कर

खड़े रहे

उन सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ़,

जो दीन-धर्म के नाम पर

बाँट लोगों को

अपना शिकार बना लेते हैं।


यह दिवाली की मुबारकबाद

उन बदनसीबों को भी

जिनको सदियों से हर षड्यंत्र रच

लक्ष्मी से दूर रखा गया।


जिनकी दिवाली हमेशा काली ही गुज़री

ऐसा कुछ कुचक्र रचा गया।


कुछ के बनाए हुए

काल्पनिक भगवान ही

जिन बहुतों के दुश्मन बन बैठे।


जिस भगवान के आधार पर ही

जिनका वर्षों तिरस्कार और दमन किया गया।।


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